यह Story एक छोटी
बच्ची की है। जो पहली बार साइकिल से School जाती है, और हमे जीवन में बदलाव की बहुत बड़ी सीख दे जाती है।
ये बात उस समय की है, जब संध्या को उसकी माँ ने एक नयी साइकिल खरीद कर दी थी। संध्या बहुत खुश थी, क्योंकि अब उसे पैदल School नही जाना पड़ेगा। दुसरे ही दिन संध्या जल्दी-जल्दी तैयार हो गयी School जाने के लिए, संध्या को इतना खुश देखकर उसकी माँ भी खुश थी।
ये बात उस समय की है, जब संध्या को उसकी माँ ने एक नयी साइकिल खरीद कर दी थी। संध्या बहुत खुश थी, क्योंकि अब उसे पैदल School नही जाना पड़ेगा। दुसरे ही दिन संध्या जल्दी-जल्दी तैयार हो गयी School जाने के लिए, संध्या को इतना खुश देखकर उसकी माँ भी खुश थी।
School जाने का समय हो चूका था, संध्या घर से साइकिल निकाल School की ओर चल
दी। संध्या
साइकिल बहुत अच्छे से चला रही थी और साइकिल चलाते हुए वह परिस्तिथियों के अनुसार
बदलाव भी कर रही थी, जैसे भीड़
आ जाने पर ब्रेक लगाना, मोड़ आ
जाने पर दिशा बदलना, बहुत
ज्यादा भीड़ होने पर रुक जाना इत्यादि।
इतनी परेशानियों के आने के बावजुद भी वह खुश थी, क्योंकि उसे साइकिल चलाने में मज़ा आ रहा था। उसने कभी
सोचा ही नही की ये सब परेशानियाँ है, वह तो बस अपने लक्ष्य पर Focused थी। कई बार
रुकने के बाद भी संध्या School
पहुँच ही जाती है।
ठीक,
इसी प्रकार जीवन भी साइकिल
चलाने जैसा ही है। परिस्तिथियों
के अनुरूप जीवन में भी बदलाव जरुरी है। लेकिन
अपने लक्ष्य को ही बदल देना, इससे बड़ी
मुर्खता और कुछ भी नही है। अगर आप
छोटी-मोती परेशानियों से ही विचलित हो जायेंगे तो अपने जीवन में प्रगति कैसे करेंगे। अपनी
पिछली Post परेशानियों से प्रगति
की ओर में मैंने बताया है कि परेशानियों को परेशानी न समझे, उसे चुनौती के रूप में देखे, परेशानियाँ वही ढेर हो जायेगी।
दोस्तो,
"लक्ष्य
को पाने के लिए बदलाव उचित है, लेकिन लक्ष्य को ही बदलना मुर्खता।"
2 Comments
Super mate!!!
ReplyDeleteThank you!!!
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